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रांची: झारखंड की राजधानी रांची के ऑड्रे हाउस का सभागार रविवार को राजतंत्र के उतार-चढ़ाव को साझा करता दिखा. नाटक ”राज रक्त” में कलाकारों ने राज दरबार की राजनीति और राजा के पीठ पिछे होने वाले षडयंत्र को जीवंत किया. दरबार के उच्च पद पर आसीन पदाधिकारी मिलकर कैसे राजा को गद्दी से हटाने की साजिश करते है, पर अंतत: इसमें सफलता नहीं मिलती.
नाट्य महोत्सव नट रंग का समापन
नाट्य संस्था मैट्रिक्स, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार और कला संस्कृति विभाग की ओर से आयोजित नाट्य महोत्सव नट रंग का समापन हुआ. नाटक की कहानी एक ऐसे राजा कि थी जो, अपनी प्रजा की भलाई के लिए कुछ ठोस कदम उठाता हैं. इससे दरबार के कई विदुषी आहत होते है और राजा के खिलाफ साजिश करना शुरू कर देते है. यहां तक की राजा की हत्या करना उन्हें उचित लगता है. इसके लिए राजा के भाई नक्षत्रराय, राजा की पत्नी गुणवती और राज्य के पुरोहित रघुपति को भी साजिश में शामिल कर लिया जाता है. राज्य विद्रोही राजा की हत्या के लिए मुगल शासकों से मिल जाते हैं.
मंच पर ये थे मौजूद
राजनीतिक उत्थल-पुत्थल के बीच राजा की हत्या कर दी जाती है और नक्षत्रराय नया राजा बनता है. राजा बन नक्षत्रराय पुराने राजा के सभी कानूनों को हटा कर अपने बनाये कानून को लागू कर देता है. नाटक का अंत समाज को शासक बदलने के बाद भी समृद्ध परिवेश स्थापित न होने की सीख देता है. मंच पर कलाकार सोनु सोनार, शिवांग चौबे, शंकर पाठक,अंकिता केरकेट्टा, शर्मिष्ठा शर्मा, अंकित कुमार, शाश्वत चौधरी, किरणमय महतो, सनी देवगम, सुजल पासवान, श्वेता, सुशांत सरीन, गिरीश दत्त, मणिकांत और आकांक्षा के अभिनय की सराहना दर्शकों ने अपनी तालियों से दी.
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