Home Blog MahaShivratri 2024: रहस्यमयी माना जाता है महाशिवरात्रि का इतिहास, जानिए सही तिथि और पौराणिक कथा

MahaShivratri 2024: रहस्यमयी माना जाता है महाशिवरात्रि का इतिहास, जानिए सही तिथि और पौराणिक कथा

0
MahaShivratri 2024: रहस्यमयी माना जाता है महाशिवरात्रि का इतिहास, जानिए सही तिथि और पौराणिक कथा

[ad_1]

हिंदू पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि पर्व महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था।

By Ekta Sharma

Publish Date: Sun, 25 Feb 2024 01:38 PM (IST)

Updated Date: Sun, 25 Feb 2024 01:38 PM (IST)

MahaShivratri 2024: रहस्यमयी माना जाता है महाशिवरात्रि का इतिहास, जानिए सही तिथि और पौराणिक कथा
history of MahaShivratri

HighLights

  1. चतुर्दशी तिथि 8 मार्च 2024 को रात 9 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी।
  2. महाशिवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है “शिव की महान रात्रि”।
  3. महाशिवरात्रि पर्व महत्वपूर्ण माना जाता है।

धर्म डेस्क, इंदौर। MahaShivratri 2024: हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का महापर्व मनाया जाता है। शिव भक्तों के लिए यह दिन बहुत ही खास होता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। शिव भक्त इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। बता दें कि महाशिवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है “शिव की महान रात्रि”। इस दिन को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

महाशिवरात्रि सही तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 8 मार्च 2024 को रात 9 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी। यह अगले दिन यानी 9 मार्च 2024 को शाम 6:17 बजे समाप्त होगी। बता दें कि शिवरात्रि की पूजा रात में की जाती है, इसलिए इस दिन उदया तिथि नहीं देखी जाती है।

महाशिवरात्रि का इतिहास

हिंदू पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि पर्व महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था। विवाह उत्सव का जश्न मनाने के लिए हर साल यह त्योहार मनाया जाता है। इसके अलावा, यह शिव और शक्ति के मिलन का भी प्रतीक माना जाता है।

इस पर्व के संबंध में यह भी कहा जाता है कि इस दिन महादेव ने समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पीकर संसार को अंधकार से बचाया था, जिसके कारण उनका कंठ नीला पड़ गया और उनका नाम नीलकंठ हुआ। महाशिवरात्रि शिव और उनके नृत्य ‘तांडव’ के बारे में भी है। ऐसा कहा जाता है कि भोलेनाथ इसी रात “सृजन, संरक्षण और विनाश” का लौकिक नृत्य करते हैं।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

  • ABOUT THE AUTHOR

    एकता शर्मा नईदुनिया डिजिटल में सब एडिटर के पद पर हैं और बीते 2 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। डिजिटल मीडिया में काम करने का अनुभव है। साल 2022 से जागरण न्यू मीडिया (JNM) से जुड़ी हैं और Naiduni

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here