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हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस बार चैत्र नवरात्र 9 अप्रैल से शुरू होंगे। कहा जाता है कि घटस्थापना के बाद ही मां दुर्गा की पूजा की जाती है।
By Ekta Sharma
Publish Date: Sun, 07 Apr 2024 01:38 PM (IST)
Updated Date: Sun, 07 Apr 2024 01:38 PM (IST)
HighLights
- शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को रात 11.50 बजे शुरू होगी।
- इस दिन घटस्थापना का शुभ समय प्रातः 06:02 से 10:16 तक है।
- शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करने से घर में खुशियां आती हैं।
धर्म डेस्क, इंदौर। Chaitra Navratri 2024 Ghatasthapana Vidhi: हर साल चैत्र मास की अमावस्या के अगले दिन से नवरात्र पर्व की शुरुआत हो जाती है। नवरात्र के 9 दिनों मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। साथ ही व्रत भी रखा जाता है, ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस बार चैत्र नवरात्र 9 अप्रैल से शुरू होंगे। कहा जाता है कि घटस्थापना के बाद ही मां दुर्गा की पूजा की जाती है। ऐसे में आइए, जानते हैं कि घटस्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा सामग्री और विधि क्या है।
चैत्र नवरात्र घटस्थापना शुभ मुहूर्त
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को रात 11.50 बजे शुरू होगी और 9 अप्रैल को रात 8.30 बजे समाप्त होगी। ऐसे में 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्र शुरू हो जाएगी। इस दिन घटस्थापना का शुभ समय प्रातः 06:02 से 10:16 तक है। जबकि अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.57 बजे से दोपहर 12.48 बजे तक रहेगा। इन 2 शुभ मुहूर्त में घटस्थापना की जा सकती है।
चैत्र नवरात्र घटस्थापना सामग्री लिस्ट
कलश (मिट्टी, चांदी या तांबा का), गंगा जल, आम के पत्ते की टहनी, सिक्का, अक्षत।
जौ बोने के लिए मिट्टी का बर्तन, साफ कपड़ा, जल, मिट्टी, कलावा और जौ।
अखंड ज्योति के लिए पीतल या मिट्टी का दीपक, घी, रुई की बाती, रोली, अक्षत।
चैत्र नवरात्र घटस्थापना विधि
मान्यता है कि चैत्र नवरात्र के दौरान शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करने से घर में खुशियां आती हैं। कलश स्थापना करते समय इस बात का ध्यान रखें कि चांदी, मिट्टी या तांबे के कलश में घटस्थापना करें। घटस्थापना में लोहे या स्टील के बर्तन का प्रयोग न करें। घटस्थापना करने से पहले मंदिर की अच्छी तरह से साफ-सफाई कर लेना चाहिए।
घटस्थापना वाले स्थान को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। इसके बाद हल्दी से अष्टदल बनाएं और कलश में शुद्ध जल लें। इसमें लौंग, अक्षत, हल्दी, सिक्के, इलायची, पान के पत्ते और फूल आदि चीजें डालें। फिर उसके ऊपर रोली से स्वास्तिक बनाएं। अंत में कलश स्थापित करते समय मां दुर्गा का ध्यान करें।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’
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