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EV Policy पर मोदी-केजरीवाल सरकार आमने-सामने

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EV Policy पर मोदी-केजरीवाल सरकार आमने-सामने

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EV Policy: इलेक्ट्रिक वाहन नीति को लेकर केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार आमने-सामने दिखाई दिखाई दे रही है. देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन, बिक्री और खरीद को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को नई इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम 2024 (ईएमपी स्कीम 2024) को मंजूरी दे दी है. वहीं, दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में पुरानी इलेक्ट्रिक वाहन नीति को ही जून तक या फिर दिल्ली ईवी नीति 2.0 के आने तक जारी रखने पर अपनी मुहर लगा दी है. केंद्र सरकार ने ईएमपी स्कीम 2024 को इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए पहले से लागू फेम-2 स्कीम की मियाद खत्म होने से पहले पेश की है. फेम-2 स्कीम की वैधता 31 मार्च 2024 तक ही है.

दिल्ली ने पुरानी EV Policy को को जून तक बढ़ाई

मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार के मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को दिल्ली ईवी नीति को जून 2024 तक बढ़ाने की मंजूरी दे दी है. दिल्ली सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी में पुरानी ईवी नीति के तहत सभी मौजूदा प्रोत्साहन और सब्सिडी बरकरार रहेगी और 1 जनवरी 2021 के बाद से खरीदे गए किसी भी इलेक्ट्रिक वाहन को इस विस्तार का फायदा मिलेगा. इसके साथ ही, बयान में यह भी कहा गया है कि मौजूदा दिल्ली ईवी नीति को 30 जून 2024 तक या दिल्ली ईवी नीति 2.0 की अधिसूचना जारी तक बढ़ा दिया गया है. पुरानी ईवी नीति को आगे बढ़ाने का फैसला शुक्रवार को मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया.

केंद्र ने नई EV Policy को दी मंजूरी

उधर, केंद्र की सरकार ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण, बिक्री, खरीद और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए शुक्रवार को नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति (ईएमपी स्कीम 2024) को मंजूरी दे दी. इस नीति के तहत कम से कम 50 करोड़ डॉलर (4,150 करोड़ रुपये) का निवेश करने वाली विदेश कंपनियों को भारत में उत्पादन प्लांट स्थापित करने के लिए सरकार की ओर से छूट दी जाएगी.

टेस्ला को आकर्षित करने के लिए EV Policy

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि ईवी नीति के जरिए सरकार की ओर से भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों का हब बनाने और टेस्ला समेत ग्लोबल इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनियों से निवेश आकर्षित करने का प्रयास किया गया है. बयान में कहा गया है कि इस नीति के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों प्रोडक्शन प्लांट स्थापित करने वाली कंपनियों को कम सीमा शुल्क पर लिमिटेड नंबर में कारों को आयात करने की अनुमति दी जाएगी. इस छूट को पाने के लिए कंपनी को कम से कम 50 करोड़ डॉलर (4,150 करोड़ रुपये) का निवेश करना होगा, जबकि इसकी कोई अधिकतम सीमा नहीं है.

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विदेशी कंपनियों को सशर्त छूट देगी सरकार

मंत्रालय की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के आयात के लिए मंजूर गाड़ियों की कुल संख्या पर शुल्क में दी गई रियायत उस कंपनी की निवेश राशि या पीएलआई योजना के तहत प्रोत्साहन राशि 6,484 करोड़ रुपये में से जो भी कम हो, तक सीमित होगा. इसके मुताबिक, अगर निवेश 80 करोड़ डॉलर या उससे अधिक है, तो सालाना अधिकतम 8,000 की दर से अधिकतम 40,000 इलेक्ट्रिक वाहनों के आयात की अनुमति होगी.

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