Home Blog Papmochani Ekadashi 2024: पापमोचनी एकादशी पर इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, बनी रहेगी सुख-समृद्धि

Papmochani Ekadashi 2024: पापमोचनी एकादशी पर इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, बनी रहेगी सुख-समृद्धि

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Papmochani Ekadashi 2024: पापमोचनी एकादशी पर इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, बनी रहेगी सुख-समृद्धि

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धार्मिक मान्यता के अनुसार, पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।

By Ekta Sharma

Publish Date: Mon, 01 Apr 2024 05:41 PM (IST)

Updated Date: Mon, 01 Apr 2024 05:41 PM (IST)

Papmochani Ekadashi 2024: पापमोचनी एकादशी पर इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, बनी रहेगी सुख-समृद्धि
Papmochani Ekadashi puja vidhi

HighLights

  1. पापमोचनी एकादशी व्रत 5 अप्रैल को रखा जाएगा।
  2. इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
  3. पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से पापों से मुक्ति मिलती है।

धर्म डेस्क, इंदौर। Papmochani Ekadashi 2024: हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को एकादशी व्रत रखा जाता है। सनातन पंचांग के अनुसार, पापमोचनी एकादशी व्रत 5 अप्रैल को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए, जानते हैं पापमोचनी एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है।

पापमोचनी एकादशी शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 4 अप्रैल को शाम 4.14 बजे शुरू होगी और 5 अप्रैल को दोपहर 1.28 बजे समाप्त होगी। ऐसे में पापमोचनी एकादशी 5 अप्रैल को मनाई जाएगी।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में खुशियां बनी रहती है। इसके साथ ही पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से पापों से मुक्ति मिलती है।

पापमोचनी एकादशी पूजा विधि

पापमोचनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत करने का संकल्प लें। स्नान-ध्यान से निवृत्त होकर, मंदिर में भगवान विष्णु की छोटी मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। अब भगवान विष्णु को चंदन का लेप, फल, दीपक और धूप अर्पित करें। साथ ही इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम और नारायण स्तोत्र का पाठ करना बहुत शुभ होता है। एकादशी के अगले दिन यानी द्वादशी पर ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और उन्हें दक्षिणा आदि देने के बाद ही खुद भोजन ग्रहण करना चाहिए।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

  • ABOUT THE AUTHOR

    एकता शर्मा नईदुनिया डिजिटल में सब एडिटर के पद पर हैं और बीते 2 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। डिजिटल मीडिया में काम करने का अनुभव है। साल 2022 से जागरण न्यू मीडिया (JNM) से जुड़ी हैं और Naiduni

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